Translate

शनिवार, मई 17, 2008

टेक्नोक्रेट की अभिलाषा

चाह नहीं मैं बन नेता,
इधर से उधर निठल्ले फिरूं ।
चाह नहीं भ्रष्ट सांसद या विधायक बन ,
मीडिया में छा जाऊं, कोर्ट के द्वारे फिरूं ।
चाह नहीं अभिनेता बन कर अंडरवर्ल्ड को ललचाऊ।
चाह नही पुलिस के हत्थे चढूं
वकीलों से बच भाग्य पर इठलाऊँ।

चाह नही भ्रष्टाचारी के समर्थन में में मैं वोट डालूं।
मुझे बैठा लेना ओ एयरलाइन्स वाले; अमेरिका में देना तुम फैंक
बैंक बैलेंस डॉलर में बढ़ने जहाँ जायें टेक्नोक्रेट अनेक।
[26/06/2001]

2 टिप्‍पणियां:

Manu Dev Gupta / Gilly ने कहा…

simply superb....

Bhushan Sonone ने कहा…

Badhiya hai Nitu. Keep it up bhai..want to read more poems from you.

रक्षाबंधन 2018