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गुरुवार, मई 08, 2008

मील का वो पत्थर

मील का वो पत्थर
बस में से वो मील का पत्थर देखना
और सोचना की कैसे में समय के एक आयाम से दूसरे में घुस रहा हूँ ।
अभी कभी इस जीवन की गाड़ी में भी मैंने एक ऐसे मील के पत्थर को देखा ।
और अब मैं इस आयाम में खुश नही हूँ।
या फ़िर उस गुजरे आयाम ने मुझे उसके नशे का आदी बनाया दिया था ।
अब नशा उतर रहा है , साथ में जोरों का हँगओवर भी है .

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