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शनिवार, अगस्त 13, 2011

रक्षाबंधन

आज है राखी का त्यौहार,
बहिनों की याद आती फिर बार-बार.
पोस्टमैन भैया लाता जब राखी ,
सजती कलाई, होता उसका श्रृंगार.
चाहे दूर-दूर हो फिर भी,
राखी रूप ले आ जाती बहना-
दे जाती खुशियाँ अपार.

मंगलवार, अगस्त 09, 2011

क्यों बेचारा हो किसान?

पहले किसानों की जमीन ले लो,
फिर उनके खेतों का पानी, शहर की और मोड़ दो,
और जब वो बोलों उनको गोली दे कर चुप कर दो,
वाह री भारत सरकार, कुछ तो समझ से काम लो.
अगर किसान मरा, या मरी उसकी किसानी,
तो क्या उखाड लोगे,
जब भूखे रोयेंगे राजकुमार तुम्हारे,
क्या सोने के चने चबाओंगे.
http://www.hindustantimes.com/4-farmers-killed-in-police-firing-in-Pune/Article1-731402.aspx

गुरुवार, अगस्त 04, 2011

शिक्षा

श्रीमान जब शिक्षा दे
उन्हें.
श्रीमति बोली
फिर उनसे यही,
घेरो न लल्ला को हमारे
नौकरी करनी नहीं.
हे शिक्षे!!!
तुम्हारा नाश हो,
जो तुम नौकरी हित बनी.
मूर्खता!!!
तुम जीती रहो
रक्षक तुम्हारे नेता और धनी.

सोमवार, जुलाई 18, 2011

साक्षी नियति - साक्षी हरिसिंह











पैबन्द लगे कोट पहने,

तांगे पर पहाडिया चढ़कर.

बैरकों से निकाल नव-सांदीपनि निर्माण करते,

हर ईंट-पत्थर-चूने को पसीने से सींचते,

को नियति ने रोक कर पूछा-

हे सरस्वती साधक, लक्ष्मी पालक.

क्या तुम हरिसिंह गौर हो? “

माथे की बूंद को तर्जनी से झटक कर वह बोला-

नहीं, मैं नालंदा का शिल्पी हूँ,  पुनर्जन्म ले यहाँ आ पहुंचा हूँ.

जो भूल वहाँ की थी, यहाँ न दोहराऊंगा,

इस विश्वविद्यालय को अमरत्व-शिल्प से बनाऊंगा.

कई सदियाँ इसको छूकर गुजरेंगी,

और ये बेबाक खड़ा रहेगा.

इसके विद्यार्थी साफल्य-क्षतिज पर चमकेंगे,

जैसे चमकता शिव चंद्र-भाल है.

नियति बोली, मैं साक्षी रहूंगी.  
(१८ जुलाई २०११- आज विश्वविद्यालय ने ६५ साल पूरे किए.)


सोमवार, जुलाई 11, 2011

ट्रेनें

हाँ ट्रेनें, नहीं, नहीं रेलगाड़ी नहीं.
रेलगाड़ी हो तो हो- खोमचे वालों-चाय वालों-अजनबी दोस्तों की.
या फिर हो, घर-प्रियजन-सपनों तक पहुचने की आतुरता सजोते यात्रियों से खचा-खच.

न जाने ये कब ट्रेन में बदल जाती.

जब न्यूज़ चैनलस् वालों को कुछ जल्दी हो, जल्दी से कुछ बताने की.
या फिर अधिकारीयों को अपने प्रवाक्तिक वक्तव्य तैयार करने की.
या फिर रेल मंत्री का अपने इस्तीफा बनाने की.
शायद तब होती होगी-
जब ट्रेन की बातें टीवी पर आने लगे,
और आने लगे नंबर.
रुलाते-भयभीत करने वाले नंबर.

शनिवार, जुलाई 09, 2011

वसुधा का नेता कौन हुआ?(रामधारी सिंह दिनकर)

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

गुरुवार, अप्रैल 28, 2011

न्यू ईस्ट इंडिया कंपनीज़्

भारत में दिख रही हैं, फिर ईस्ट इंडिया कंपनी.
एक नहीं कई सौ, पुणे, बंगलौर, नॉएडा, गुडगाँव, हैदराबाद, कोलकत्ता
मुंबई और धीरे धीरे हर कहीं.
इस बार जो २०० साल नहीं कई सौ साल राज करने आ गई.
और लूटने आई हैं, भारत मन को.
प्राणों को छेदने सोने की सलाखों से.
बेटे-बटियो को दूर करती,
अपने माँ-बाप से.
खेतों से भूमि पुत्रों को,
स्फूर्ति से भरे युवा भारतियों को तोंद लिए;
असमय बृद्ध-मृतक करने.
और भारत में अपने काम के साथ,
भेज रही हैं, अपनी सड़ी-गली-मैली-बदबूदार संस्कृति.
कोई तो गाँधी अब, या फिर कोई मंगल, कोई आज़ाद,
ज्यादा नहीं बस थोड़ी से आंख खोलने को.
और बताने कि न्यू ईस्ट इंडिया कंपनीज़् के अलावा,
और भी जगह है रोटी.

शनिवार, अप्रैल 09, 2011

**समुन्दर**

(याद आई कुछ लाइनें)

१.
प्रलय तिमिर में संयम रख कर, सीख लेते हैं जो हार में जीना.
बिन तरकश तीरों के वो ही चीर देते हैं समुन्दर का सीना.

२.
प्यास कहती है चलो रेत नेचोड़े,
अपने हिस्से में समुन्दर आने वाला नहीं.

सोमवार, मार्च 21, 2011

जापान

जिन नयनं में सपने हो, नींद कहाँ फिर उन नयनं में.
और जब सहसा नयनं में जाती सुनामी, चकरा जाते भू-कंप से.
नयनं में फिर विकृत दृश्य उभरते, जो कुछ पल पहले थे,सौम्य-सुघड.
फिर उन नयन में चैन कहाँ, जब पुनर्निर्माण के सपने हो.
हारने पर, लुट पिट जाने पर भी, जो पौरुष जनशक्ति सामर्थ हो,
लड़कर अपनी बसुधा को जो हर दम बचाए.
अय भोर सूरज देश निवासी तुमको शत्-शत् नमन.

शनिवार, मार्च 05, 2011

बुर्जुआ मोहल्ला

बुर्जुआ मोहल्ला गली के बाहर फिर छटवें दिन मन-मौजा,
घूमा;
रोक न सकूं अपने अंदर के वर्नेकुलर घोड़े को.
हर टाप पर निशान बनाते-बनाते फिर उस दायरे के छोर मिल जाएगा,
सातवें दिन.
बुर्जुआ मोहल्ला में फिर घोड़े को अस्तबल में बंद ये अरबी राह देखेगा,
पांचवे दिन की.
और देखेगा मुझे लम्पन-बुर्जुओं में घुलते-मिलते हुए.

रविवार, जनवरी 23, 2011

आंसूओं का सामान

सरहद के उस पर से,
क्यों हमेशा,
आंसूओं का सामान आता है.
कभी बंदूक-तोप-बमों
के धमाके आते हैं.
और कभी बस चुपचाप
प्याज आ जाता है.

रक्षाबंधन 2018