कौरव कौंन , पांडव कौंन टेडा सवाल क्यों है।
चारों और फैला शकुनी का कूटजाल क्यों है।
भरी सभा में पंचाली अपमानित है, तो क्यों है।
अगर युद्ध होना ,तो क्यों होना है।
चाहे राजा कोई बने प्रजा को क्यों रोना है।
हम रोज़ बस स्टॉप पर टकराते थे, मुस्कुराने लगे, देख एक दूसरे को। अब टकराते नहीं, मिलने लगे हैं जो रोज़। बेमतलब की बातें शुरू हुई कल से, और, आ...
1 टिप्पणी:
Accha hai. Nitu hame pata hai tu ek acha s/w engr to hai hi par ek acha Kavi, actor, director, writer bhi hai. keep it up dear.
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