सत्यान्वेषी

सत्य की तलाश में लिए चला लालटेन कौन.
जंगल अंनत काली छाया असत्य की,
धर्म के सूरज की किरणें भ्रष्ट खगों ने कैद की,
उलटे अनीति के चमगादड़ विलग मार्ग सुझाए,
सिलवटी कपाल ले सत्य खोजता है वो मौन,
सत्य की तलाश में लिए चला लालटेन कौन.

प्रतिध्वनि की आशा है, झूठी,
मेला यहाँ अशिक्षा के सियारों का,
मजबूरियों की झाडियाँ हैं ऊँची,
चुक चला भरोसा शासन के कुल्हड़ों का.
सत्य को पैसे ने न खाया हो,
न नोंची हो न्यायविदों ने उसको कोमल खाल,
इसी कोमल पदचाप छोड बढा जाता वोह मौन,
सत्य की तलाश में लिए चला लालटेन कौन.

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