आंसूओं का सामान

सरहद के उस पर से,
क्यों हमेशा,
आंसूओं का सामान आता है.
कभी बंदूक-तोप-बमों
के धमाके आते हैं.
और कभी बस चुपचाप
प्याज आ जाता है.

1 टिप्पणी:

Sandy ने कहा…

hey Nitesh... after a long gap something has come up from your pen. sure enough, it was worth to wait..! nice words, nice poem..!

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