अखबार का कोना फाड़-फेंकते क्यों नहीं ?
शोक पत्र का टोना, भारी जान पड़ता कहीं?
मर-मरे-मारे गए; शोकग्रस्त हर काले अक्षर,
कौन मौन करे बहुत नहीं केवल क्षण भर.
कौन कोना फाड़े जैसे एक मृत्यु-शोकपत्र का फटा था जब,
ठहरो!!!
मृत्यु यहाँ अनकों हैं क्या कोना-कोना कर फाड दोगे अखबार सब?
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शुक्रवार, अप्रैल 16, 2010
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2 टिप्पणियां:
बस इतना कहूँगा कि मुझे भाव बहुत सुन्दर लगे
👌🧡👌🧡👌🧡👌🧡👌🧡👌🧡👌🧡
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