जीवन



जीवन में खुशी मिलें
उसे बांटते चलो,
दुख की लॉरी को
धक्का लगाते गिराते
चलो.
बरसे जब आसमान से बूंदे तो
मन मुस्काता है
जब बूंदे आँखों से बरसती,
मन रोता-चिल्लाता है,
इस मुस्कुराने-रोने-चिल्लाने की रेल चलते चलो.
जीवन में.....
जीवन की हरियाली में पतझड़ के जब पत्ते मिले,
पत्तों के ढेर पर आग लगाओ,
उनके चारों और नाचते गाते चलो.
जीवन में ....

पड़ौसी



ये हवा जो बह के आती है,
तुम्हारे छत से, कुछ सौंधी, कुछ ठंडी सी,
हमारी छतों पे रौनक है भर देती.

अगर बजती जो ढोलक हमारे घर पर,
खनकती चूड़ी जिसकी थाप पर,
कानों में तुम्हारे न्यौते का संदेशा भर है भर देती.

मगर जो बागड है, वो लंबी और इतनी ऊँची,
गर छलांग मैं जो लगाऊं, बस टखनों में जख्म है भर देती.

माना की हम दो अलग झंडों के नीचे बैठे,
जिनमें भरे रंग, नारंगी-हरे-सफ़ेद-नीले,
मगर तेरी धरती भी मेरी धरती के तरह हरी होती,
तेरे नीले आसमान मेरे जैसे,
जिसकी हर शाम है नारंगी रंग भर देती.

है देखो वो उड़ के जा रहे सफ़ेद कबूतर,
न जाने किसने छोड़ें है, तेरी या मेरी तरफ से,
आ जाओ अपनी बागड की उस और हमारी तरह,
कुछ तुम कहो कुछ हम सुनाएँ,
सुना है, बातें प्यारी सी, है दिलों की खाई भर देती.

अखबार उर्फ शोक पत्र

अखबार का कोना फाड़-फेंकते क्यों नहीं ?
शोक पत्र का टोना, भारी जान पड़ता कहीं?

मर-मरे-मारे गए; शोकग्रस्त हर काले अक्षर,
कौन मौन करे बहुत नहीं केवल क्षण भर.

कौन कोना फाड़े जैसे एक मृत्यु-शोकपत्र का फटा था जब,
ठहरो!!!
मृत्यु यहाँ अनकों हैं क्या कोना-कोना कर फाड दोगे अखबार सब?

ये समय है प्यारे

ये समय है प्यारे, इसे रखना अपने पास,
जिसने गंवाया इसे भुलाया,
उसकी जीने की क्या आस .
ये समय है सोना, इसमें न सोना,
ये समय है धाती जो यही सिखाती,
पढ़लो मुझको, गढ़ ले मुझको,
ले आत्मविश्वास .
ये समय है प्यारे इसे रखना अपने पास ...
इश्वर ने जो जीवन दिया,
उसे ढालना हमको है,
पाठ जगत् से हमने लिया,
उसे उतरना हमको है.
थकने पर भी छोड नहीं देना अनमोल प्रयास .
ये समय है, इसे रखना अपने पास ...
इस समय मार्ग पर चलते कितने जीते युद्द कई,
भारत के अमिट सपूत बने,
समय के पुजारी शिखर्पुत्र सम्राटों की सेना ही थे,
कर्म पूजते बढते जाना रुकना अंतिम श्वास.
ये समय है प्यारे, इसे रखना अपने पास
जिसने गंवाया इसे भुलाया,
उसकी जीने की क्या आस .

बस स्टॉप

हम रोज़ बस स्टॉप पर टकराते थे, मुस्कुराने लगे, देख एक दूसरे को। अब टकराते नहीं, मिलने लगे हैं जो रोज़। बेमतलब की बातें शुरू हुई कल से, और, आ...