आंसूओं का सामान

सरहद के उस पर से,
क्यों हमेशा,
आंसूओं का सामान आता है.
कभी बंदूक-तोप-बमों
के धमाके आते हैं.
और कभी बस चुपचाप
प्याज आ जाता है.

बस स्टॉप

हम रोज़ बस स्टॉप पर टकराते थे, मुस्कुराने लगे, देख एक दूसरे को। अब टकराते नहीं, मिलने लगे हैं जो रोज़। बेमतलब की बातें शुरू हुई कल से, और, आ...