भिनभिनाती वेनेजुला की आवाजों में होते दे दाना-दन गो़ल.
वो पुराने कम्युनिस्ट काफी अच्छा खेलते हैं, छकाई फ़ुटबाल बहुत खूब.
दूसरे वो, बम से उड़ाते रेलें, नचाते निरह मृत्यु नाच.
तोड़ते सैनिकों की घर की चूडियाँ-सपने.
ये कैसी फ़ुटबाल खेल रहे, माओ के नाम पर,
लाशों की भिनभिनाती मक्खियों की हृयविदारक आवाजों में.
ये तो कम्युनिस्ट की फ़ुटबाल नहीं!!!
बस भी करो छकाना सरदारजी-बंगाली बाबू को.
वो अपना दुखी मन मुखोटा ठीक करते रहेंगे, दुखते रहे हैं हम सब.
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